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जब पूरा देश कर्नल राय की शहादत का शौक जता रहा था
तभी नमक हराम गिलानी आंतकियों को शहीद बता रहा था
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जब ये गद्दार गिलानी इतने जहरीले शब्द बोल रहा था
देशप्रेम के कारण दूर बैठ कर भी मेरा खून खोल रहा था
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शहीदों का अपमान देशद्रोह की परिभाषा से भी ज्यादा है
अब भी सरकार कुछ नहीं कर रही कैसी ये मर्यादा है
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गोली नहीं मार सकते इन लोगो को ऐसी क्या मजबूरी है
इनको निबटाने के लिए क्या संविधान संसोधन जरूरी है
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लानत है उन लोगो पर जो आंतकियों के जनाजे में शामिल थे
ऋषि धरती को कलंकित करने वाले धर्म विशेष के जाहिल थे
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भूल गए कुछ महीने पहले इसी सेना ने इन्हें बाढ़ से बचाया था
तब क्यों नहीं इनको अपना अब्बा पाकिस्तान याद आया था
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इतने सालो झेल रहे थे क्योंकि शासन था नेहरु के लालों का
केवल भाषण से काम नहीं चलेगा समय है खून के उबालो का
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मोदी जी, दिल्ली में जीत ही जाओगे जरूरत नहीं समय गवाने की
खून का बदला खून से ले सकते है घडी है गद्दारों को ये बताने की
अवधेश राणा
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