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आंसुओ का सैलाब ले आये

राणा जी की कलम से
राणा जी की कलम से
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जब पूछा प्यार के बारे में उनका ख्याल,
वो बहुत सारी किताब ले आये
आंखो का इशारा ही काफी था मारने लिए,
वो तो आंसुओ का सैलाब ले आये
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जिन्हे पूरा दिन देखकर दिल नहीं भरता
वो चेहरे पे हिज़ाब ले आये
तमन्ना थी जिनके अश्को से पीने की
वो भरके जाम शराब ले आये
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जिनकी ऊँगली का नाप लिए घूमे सराफा
वो शादी के न्योते में जवाब ले आये
वैसे तो हमारी हस्ती भी कुछ कम न थी
उनके अब्बा ढूंढ के नवाब ले आये
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जब हमने सोचा ईमानदारी से जीने का
वो रिश्वत में शबाब ले आये
उससे भी जब नहीं माने तो
वो ऊपर से ट्रांसफर का दबाब ले आये
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दहेज़ के खिलाफ जो थे आदर्श
लड़के की शादी में चेहरे पे रुआब ले आये
ज्यादा कुछ नहीं माँगा लड़की वालो से
बस बेटे पे खर्च का हिसाब ले आये
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अवधेश राणा

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